भगवत रावत
                            
                        भगवत रावत
লেখক / সংকলক : iPatrika Crawler
 
                                    
भगवत रावत
लौटना
दिनभर की थकान के बाद
घरों की तरफ़ लौटते हुए लोग
भले लगते हैं…
दिनभर की उड़ान के बाद
घोंसलों की तरफ़ लौटती चिड़ियाँ
सुहानी लगती है…
लेकिन जब
धर्म की तरफ़ लौटते हैं लोग
इतिहास की तरफ़ लौटते हैं लोग
तो वे ही
धर्म और इतिहास के
हत्यारे बन जाते हैं !
किसी तरह दिखता भर रहे थोड़ा-सा आसमान
किसी तरह दिखता भरे रहे थोड़ा-सा आसमान
तो घर का छोटा-सा कमरा भी बड़ा हो जाता है
न जाने कहाँ-कहाँ से इतनी जगह निकल आती है
कि दो-चार थके-हारे और आसानी से समा जाएँ
भले ही कई बार हाथों-पैरों को उलाँघ कर निकलना पड़े
लेकिन कोई किसी से न टकराए।
जब रहता है, कमरे के भीतर थोड़ा-सा आसमान
तो कमरे का दिल आसमान हो जाता है
वहना कितना मुश्किल होती है बचा पाना
अपनी कविता भर जान।
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