नरेश सक्सेना
नरेश सक्सेना
লেখক / সংকলক : iPatrika Crawler

नक्शे
नक्शे में जंगल हैं, पेड़ नहीं
नक्शे में नदियाँ हैं, पानी नहीं
नक्शे में पहाड़ हैं, पत्थर नहीं
नक्शे में देश है, लोग नहीं
समझ ही गए होंगे आप कि हम सब
एक नक्शे में रहते हैं !
साम्य
समुद्र के निर्जन विस्तार को देखकर
वैसा ही डर लगता है
जैसा रेगिस्तान को देखकर
समुद्र और रेगिस्तान में अजीब साम्य है
दोनो ही होते हैं विशाल
लहरों से भरे हुए
और दोनों ही
भटके हुए आदमी को मारते हैं
प्यासा।
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